सोमवार, 28 अप्रैल 2014

बागी धरती













बागी धरती करे पुकार।
नहीं सहेंगे अब भ्रष्टाचार।।
बहुत सह चुके तेरा अत्याचार।
अब होगा आर या होगा पार।।

बागी धरती दिखाएगी तेवर।
सोना छोड़ हथियार बनेंगे जेवर।।
खून खौलेगा,फड़केगा बाजू।
कोई एक रहेगा, मैं या तूं।।

बागी धरती की यही पहचान।
जान रहे ना रहे,रहेगी शान।।
तिरंगे के लिए,सबकुछ कुर्बान।
गूंजेगा बस हिंदुस्तान—हिंदुस्तान।।

बागी धरती देश की शान।
मिटाये दुश्मनों के निशान।।
भारत मां के गाए गान।
चहुंओर हिंदुस्तान—हिंदुस्तान।।

बागी धरती,खूनी लाल।
दुश्मनों की खींच ले खाल।।
टूट पड़े तो बन जाए काल।
समझ ना पाए दुश्मन चाल।।

बागी धरती करे कमाल।
हर घर से निकले इक लाल।।
चमकती तलवार,लेकर ढाल।
दुश्मनों पर बन जाए काल।।

बागी धरती जवान महान।
हर घर में सेना का जवान।।
देशभर में होता गुणगान।
जय हिंदुस्तान—हिंदुस्तान।।

बागी धरती धरा है पावन।
चारों वेद में भरा बखान।।
भृगु मुनि और दर्दर महान।
जितना तुम कर लो गुणगान।।

बागी धरती की पहचान।
गंगा,सरयू,टोंस सीवान।।
रक्षा करते वीर जवान।
जय हिंदुस्तान—हिंदुस्तान।।

बागी धरती ने भरी हुंकार।
मिटकर रहेगा भ्रष्टाचार।।
ईमानदारी की जय—जयकार।
जली ज्योति वो बनी अंगार।।

बागी धरती की जो राह में आया।
समझो उसने जीवन गंवाया।।
दुश्मनों का नामोंनिशां मिटाया।
बलिया बागी नाम कहलाया।।

—अनीश कुमार उपाध्याय

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