रविवार, 27 अप्रैल 2014

भारत देश महान












देश का दुश्मन ललकार रहा है।
सीमा पर खड़ा फुफकार रहा है।।
देश की एकता उजाड़ रहा है।
अपनी जमीं पर झंडे गाड़ रहा है।।

अब मत सोओ,जागो—जागो।
अपनी धरा का,इंच—इंच मांगो।।
भारत माता का कर्ज उतारो।
अपने भविष्य की किस्मत संवारो।।

बहुत सो लिए, अब तो जागो।
खून बहाया, उसने अपनों का।।
उससे सारा हिसाब तुम मांगो।
अब मत सोओ,जागो—जागो।।

देश पड़ोसी,भूल गया वो।
पिछली हार को भूल गया वो।।
उसको फिर से याद दिलाओ।
बढ़ो जवानों,आगे आओ।।

जमा नहीं है,लहू तुम्हारा।
दुश्मन को ये बोध कराओ।।
उसके मान का मर्दन कर।
रणभूमि में उसे हराओ।।

जागो—जागो,अब मत सोओ।
शांति का पाठ खूब पढ़ाया।।
पड़ोसी धर्म भी खूब निभाया।
उसने सिर काट तोहफा भिजवाया।।

उसकी लंका में अब आग लगाओ।
देश की ताकत उसको बतलाओ।।
बहुत जख्म दिए, अब मत सहो।
अब तो सारे,एकजुट रहो।।

हिंदू,मुस्लिम,सिख,इसाई।
भाई—भाई हैं,बनो ना कसाई।।
उसकी फितरत केवल लड़ाई।
वापस लौटो,फिर बनो भाई।।

प्रेम,एकता और भाईचारा।
सभी धर्म आंखों का तारा।।
यही रहा है पहचान हमारा।
बोल हमारे,गान तुम्हारा।।

बजे प्रेम का इकतारा,झूमे दुनिया सारी।
बोली—भाषा अलग—अलग,संस्कृति एक हमारी।।
हर बोली की अपनी मिठास,जगह—जगह है खास।
कहीं गूंजता अल्लाह अकबर,घुलती कानों में मिठास।।

कहीं राम,ईसा,मूसा का होता है गुणगान।
कहीं कृष्ण की भक्ति से,पूजे जाते रसखान।।
सारी बातों का मोल एक,चाहें कोई होवे भगवान।
प्रेम,एकता,भाईचारे से,भारत देश बना महान।।

—अनीश कुमार उपाध्याय

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